संघ लोक सेवा आयोग, अंग्रेज़ी: Union Public Service Commission (UPSC), भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक निकाय है जो भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करता है। संविधान के भाग-14 के अंतर्गत अनुच्छेद 315-323 में एक संघीय लोक सेवा आयोग और राज्यों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान है।[1][2]
संघ लोक सेवा आयोगसंक्षेपाक्षरयू पी एस सीस्थापनाअक्टूबर 1, 1926; 95 वर्ष पहलेस्थान
धौलपुर हाउस, शाहजहाँ रोड,
नयी दिल्ली - 110001
सेवित
क्षेत्रभारत
अध्यक्ष
प्रदीप कुमार जोशीजालस्थलसंघ लोक सेवा आयोग जालस्थल
इतिहाससंपादित करें
भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान राष्ट्रवादियों की एक प्रमुख मांग थी कि लोक सेवा आयोग में भर्ती भारत में हो, क्योंकि तब इसकी परीक्षा इंग्लैंड में हुआ करती थी। प्रथम लोक सेवा आयोग की स्थापना अक्तूबर 1926 को हुई। भारत के स्वतंत्र होने पर संवैधानिक प्रावधानों के तहत 26 अक्तूबर 1950 को लोक आयोग की स्थापना हुई। इसे संवैधानिक दर्जा देने के साथ-साथ स्वायत्तता भी प्रदान की गयी ताकि यह बिना किसी दबाव के योग्य अधिकारियों की भर्ती क़र सके। इस नव स्थापित लोक सेवा आयोग को 'संघ लोक सेवा आयोग' नाम दिया गया।
सन १९१९ में तत्कालीन अंग्रेजी शासकों ने भारत के लिये स्वायत्त शासन की आवश्यकता स्वीकार की। ५ मार्च १९१९ के भारतीय वैधानिक सुधार विषयक प्रथम प्रेषणापत्र में कहा गया :
अधिकतर राज्यों में, जहाँ स्वायत शासन की स्थापना हो चुकी हैं, इस बात की आवश्यकता अनुभूत की जाती हैं कि सार्वजनिक सेवाओं को राजनीतिक प्रभावों से सुरक्षित रखना चाहिए और उसके हेतु एक ऐसा स्थायी कार्यालय स्थापित किया गया है जो विविध सेवाओं का नियंत्रण करता है। हम लोग इस समय भारत में ऐसे सार्वजनिक सेवा आयोग की स्थापना के लिये उद्यत नहीं हैं, परंतु हम देख रहे हैं कि ये सेवाएँ, क्रम से, अधिकाधिक मंत्रियों के नियंत्रण में आती जाएँगी, जिसके कारण यह उचित है कि इस प्रकार की संस्था का आरंभ किया जाय।
१९१९ के भारतीय शासन विधान में इस भावना की व्यावहारिक अभिव्यक्ति मिलती है। उसमें एक सार्वजनिक सेवा आयोग की स्थापना का विधान था जिसकी सेवाओं के लिये पदाधिकारियों की भर्ती, भारत की सार्वजनिक सेवाओं का नियंत्रण तथा ऐसे अन्य कर्त्तव्य होंगे जिनका निर्देश सपरिषद भारत सचिव करेंगे। परंतु उस आयोग की स्थापना तत्काल नहीं हुई। १९२३ में, लॉर्ड ली के नेतृत्व में, एक रॉयल कमिशन नियुक्त हुआ, जिसको भारत उच्च सेवाओं के ऊपर विचार एवं विवरण प्रस्तुत करना था। उस कमिशन ने, अपने २७ मार्च १९२४ के विवरण में, तत्काल उस लोक सेवा आयोग की स्थापना की आवश्यकता पर विशेष बल दिया, जिसका १९१९ के विधान में संकेत किया गया था। उसका प्रस्ताव था कि उक्त आयोग के निम्नलिखित चार मुख्य कार्य होंगे:
(१) सार्वजनिक सेवाओं के लिये कर्मचारियों की भर्ती,(२) सेवाओं में प्रविष्ट होनेवाले व्यक्तियों की योग्यताओं का विधान तथा उचित मान स्थिर करना,(३) सेवाओं के अधिकारों की सुरक्षा करना तथा नियंत्रण एवं अनुशासन की व्यवस्था करना, जो लगभग न्यायविधान की कोटि का कार्य है।(४) सामान्य रूप से सेवा संबंधी समस्याओं पर परामर्श एवं अनुमति देना।
उस लोकसेवा आयोग की स्थापना १९२६ के अक्टूबर मास में हुई। एक नियमावली बनाई गई जिसमें इस बात का विधान था कि अखिल भारत की प्रथम और द्वितीय श्रेणियों की सेवाओं के, उन
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